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इलाहाबाद हाईकोर्ट : नोएडा में फ्लैट खरीदार को हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत

 

सारांश

हाईकोर्ट ने कहा कि क्योंकि, मामला मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 के तहत है। याचिकाकर्ता ने जय प्रकाश एसोसिएट लिमिटेड को एक पक्ष बनाया है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि उसने फ्लैट के लिए विपक्ष के साथ सौदा किया था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के फ्लैट खरीदार को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामले में गौतमबुद्धनगर की कमर्शियल कोर्ट द्वारा पारित आदेश कानून के मुताबिक है और इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हसमुख प्रजापति की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि क्योंकि, मामला मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 के तहत है। याचिकाकर्ता ने जय प्रकाश एसोसिएट लिमिटेड को एक पक्ष बनाया है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि उसने फ्लैट के लिए विपक्ष के साथ सौदा किया था। सौदे की दो तिहाई राशि भी जमा करा दी गई। लेकिन विपरीत पक्ष ने निर्धारित समय में फ्लैट नहीं दिया। उसने फ्लैट की रकम कर्ज से ली थी, जिस पर उसे 13 फीसदी की दर से ब्याज देना था।

उन्होंने ब्याज राशि प्राप्त करने के लिए दिल्ली में स्थापित आर्बिट्रेशन सीट के समक्ष समझौता के तहत अभ्यावेदन दिया। मध्यस्थ सीट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। इस पर विपक्षी दल ने मध्यस्थता सीट के आदेश को गौतमबुद्धनगर की जिला अदालत में चुनौती दी तो जिला अदालत की वाणिज्यिक अदालत ने याचिकाकर्ता को मामले की सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया.

इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी। कहा कि गौतमबुद्धनगर के वाणिज्यिक न्यायालय को इस संबंध में आदेश पारित करने का अधिकार है।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के फ्लैट खरीदार को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामले में गौतमबुद्धनगर की कमर्शियल कोर्ट द्वारा पारित आदेश कानून के मुताबिक है और इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हसमुख प्रजापति की याचिका खारिज करते हुए यह आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि क्योंकि, मामला मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 के तहत है। याचिकाकर्ता ने जय प्रकाश एसोसिएट लिमिटेड को एक पक्ष बनाया है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि उसने फ्लैट के लिए विपक्ष के साथ सौदा किया था। सौदे की दो तिहाई राशि भी जमा करा दी गई। लेकिन विपरीत पक्ष ने निर्धारित समय में फ्लैट नहीं दिया। उसने फ्लैट की रकम कर्ज से ली थी, जिस पर उसे 13 फीसदी की दर से ब्याज देना था।

उन्होंने ब्याज राशि प्राप्त करने के लिए दिल्ली में स्थापित आर्बिट्रेशन सीट के समक्ष समझौता के तहत अभ्यावेदन दिया। मध्यस्थ सीट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। इस पर विपक्षी दल ने मध्यस्थता सीट के आदेश को गौतमबुद्धनगर की जिला अदालत में चुनौती दी तो जिला अदालत की वाणिज्यिक अदालत ने याचिकाकर्ता को मामले की सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया.

इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी। कहा कि गौतमबुद्धनगर के वाणिज्यिक न्यायालय को इस संबंध में आदेश पारित करने का अधिकार है।

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