जानिए गेहूं के दाम बढ़ने से क्या असर होरा है।
जैस (संवाद)। बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी से क्रय केंद्र प्रभारी परेशान है. मंडी में भाव बढ़ने से किसान अपनी उपज क्रय केंद्र की जगह आढ़तियों को बेच रहे हैं, ऐसे में प्रभारी लक्ष्य पूरा करने के दबाव से परेशान हैं. क्रय केंद्र पर पदस्थ पल्लेदार भी किसानों के न मिलने से आर्थिक संकट से गुजर रहा है इसलिए किसान क्रय केंद्र पर आकर धार काट रहा है.
सरकार ने फसल समर्थन मूल्य योजना के तहत क्रय केंद्रों पर 2015 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीदने की व्यवस्था की है. एक अप्रैल से 67 क्रय केंद्रों पर खरीदी के बावजूद अब तक पांच एजेंसियों के 67 क्रय केंद्रों पर 407 किसानों से 3373.85 मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हुई है. निश्चित समर्थन मूल्य योजना के तहत किसानों से खरीददारी करने के लिए जैस में तीन विपणन शाखा और एक एफसीआई क्रय केंद्र खोला गया है. चारों क्रय केंद्रों पर पिछले चार दिनों से बोहानी भी नहीं हुआ है। जबकि मंडी में गेहूं बेचने के लिए किसान जुट रहे हैं।
बाजार में लगातार हो रहे गेहूं के दामों में बढ़ोतरी से किसान भी क्रय केंद्र जाने से कतरा रहे हैं. किसानों के अनुसार सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों के गेहूं का भाव 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया जा रहा है, जबकि गेहूं बाजार में आसानी से 21 सौ से 22 सौ रुपये में बिक रहा है. ऐसे में क्रय केंद्र पर उपज बेचने पर प्रति क्विंटल लगभग 100-200 सौ रुपये का नुकसान होगा। क्रय केन्द्रों पर किसानों के उपलब्ध न होने से यदि केन्द्र प्रभारी को लक्ष्य पूरा करने की चिंता सता रही है तो कार्यरत पल्लेदारों के साथ रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
ईएमओ तिलोई सत्यप्रकाश राय ने बताया कि मंडी में गेहूं का भाव बढ़ने से किसान अपना गेहूं मंडी के आढ़तियों को बेचने की बजाय सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच रहा है. जिन किसानों ने केंद्रों से टोकन लिए थे, वे भी अब अपना गेहूं नहीं ला रहे हैं। लक्ष्य की पूर्ति के लिए लगातार किसानों से संपर्क कर खरीदारी करने का प्रयास किया जा रहा है।
जैस (संवाद)। बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी से क्रय केंद्र प्रभारी परेशान है. मंडी में भाव बढ़ने से किसान अपनी उपज क्रय केंद्र की जगह आढ़तियों को बेच रहे हैं, ऐसे में प्रभारी लक्ष्य पूरा करने के दबाव से परेशान हैं. क्रय केंद्र पर पदस्थ पल्लेदार भी किसानों के न मिलने से आर्थिक संकट से गुजर रहा है इसलिए किसान क्रय केंद्र पर आकर धार काट रहा है.
सरकार ने फसल समर्थन मूल्य योजना के तहत क्रय केंद्रों पर 2015 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीदने की व्यवस्था की है. एक अप्रैल से 67 क्रय केंद्रों पर खरीदी के बावजूद अब तक पांच एजेंसियों के 67 क्रय केंद्रों पर 407 किसानों से 3373.85 मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीद हुई है. निश्चित समर्थन मूल्य योजना के तहत किसानों से खरीददारी करने के लिए जैस में तीन विपणन शाखा और एक एफसीआई क्रय केंद्र खोला गया है. चारों क्रय केंद्रों पर पिछले चार दिनों से बोहानी भी नहीं हुआ है। जबकि मंडी में गेहूं बेचने के लिए किसान जुट रहे हैं।
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बाजार में लगातार हो रहे गेहूं के दामों में बढ़ोतरी से किसान भी क्रय केंद्र जाने से कतरा रहे हैं. किसानों के अनुसार सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों के गेहूं का भाव 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया जा रहा है, जबकि गेहूं बाजार में आसानी से 21 सौ से 22 सौ रुपये में बिक रहा है. ऐसे में क्रय केंद्र पर उपज बेचने पर प्रति क्विंटल लगभग 100-200 सौ रुपये का नुकसान होगा। क्रय केन्द्रों पर किसानों के उपलब्ध न होने से यदि केन्द्र प्रभारी को लक्ष्य पूरा करने की चिंता सता रही है तो कार्यरत पल्लेदारों के साथ रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
ईएमओ तिलोई सत्यप्रकाश राय ने बताया कि मंडी में गेहूं का भाव बढ़ने से किसान अपना गेहूं मंडी के आढ़तियों को बेचने की बजाय सरकारी खरीद केंद्रों पर बेच रहा है. जिन किसानों ने केंद्रों से टोकन लिए थे, वे भी अब अपना गेहूं नहीं ला रहे हैं। लक्ष्य की पूर्ति के लिए लगातार किसानों से संपर्क कर खरीदारी करने का प्रयास किया जा रहा है।