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जमानत याचिका हुई खारिज,आया हाईकोर्ट का सख्त बयान, कहा मंत्री ने धमकी भरा भाषण नहीं दिया होता तो लखीमपुर खीरी कांड नहीं होता

लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है. मामले में आशीष मिश्रा की जमानत पर सुनवाई 25 मई को होगी।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को कड़ा बयान दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने किसानों को धमकी देने वाला कथित बयान नहीं दिया होता तो शायद लखीमपुर खीरी कांड नहीं होता. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने चारों आरोपियों अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.

अदालत ने कहा, “उच्च पद पर आसीन राजनीतिक व्यक्तियों को इसके परिणाम क्या होंगे, इस पर विचार करते हुए सभ्य तरीके से सार्वजनिक बयान देना चाहिए।” कोर्ट ने यह भी कहा कि जब इलाके में धारा 144 लगाई गई तो दंगा क्यों कराया गया? यह न्यायालय विश्वास नहीं कर सकता कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि क्षेत्र में धारा 144 के प्रावधान लागू हैं।

इसके बावजूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री ने मुख्य अतिथि आदि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित रहने का निर्णय लिया.

मुख्य आरोपी आशीष की जमानत पर 25 को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट से जमानत रद्द होने के बाद जस्टिस कृष्णा पहल ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे और हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दोबारा दाखिल जमानत अर्जी पर अगली सुनवाई 25 मई को तय की है. मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ ​​मोनू।

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