ब्रज की छदिमार होली: कान्हा को चोट न लगे, इसी श्रद्धा के साथ वर्षों से अनूठी परंपरा चली आ रही है।
भगवान श्री कृष्ण और बलराम के बाल रूप गोकुल गांव में भ्रमण करते हुए यमुना के किनारे स्थित मुरली घाट पर आते हैं और यहां रंगों और फूलों से होली खेलते हैं। जगह-जगह भगवान कृष्ण के बाल रूपों पर फूलों की वर्षा की जाती है और उनकी पूजा की जाती है।
स्थानीय निवासी रमेशचंद मुखिया ने बताया कि होली खेलने वाली गोपियों के 10 दिन पहले हुरियारियों को उनकी डंडियों पर तेल पिलाया जाता है, फिर हुरियारों को दूध, दही, मक्खन, लस्सी, काजू बादाम खिलाकर होली खेलने के लिए तैयार किया जाता है.
स्थानीय निवासी चैलबिहारी ने बताया कि पिछले वर्षों में 50 गोपियां होली के लिए तैयार की जाती थीं, जबकि इस बार 100 गोपियां भगवान कृष्ण बलराम की छड़ी से होली खेलेंगी. छदिमार होली देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
छदिमार होली 15 मार्च को होगी
ब्रज में गोकुल की चडी मार होली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी यह पर्व मनाया जाएगा। गोकुल में इस पर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 15 मार्च को चड़ी मार होली का आयोजन किया जाएगा।