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जानिए श्रीलंका के पीएम का क्या है कहना वहां की अर्थव्यवस्था को लेकर।

श्रीलंका में आर्थिक संकट की वजह हाहाकार मचा हुआ है। लोगों में सरकार के खिलाफ दिनों दिन गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इस बीच सोमवार को श्रीलंकाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने देश को संबोधित किया। इस संबोधन में उन्होंने नागरिकों को आर्थिक संकट की वजह समझाने की कोशिश की।

महिंदा राजपक्षे ने कहा- कोरोना महामारी की वजह से हमारे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई। इसके बावजूद हमें लॉकडाउन लगाना पड़ा, इस वजह से देश का फॉरेन करेंसी रिजर्व खत्म हो गया। मैं और राष्ट्रपति देश को इस संकट से बाहर निकालने के लिए हर पल कोशिश कर रहे हैं।

 

प्रदर्शनकारियों से आंदोलन खत्म करने की अपील

प्रधान मंत्री ने प्रदर्शनकारियों से सरकार विरोधी आंदोलन को समाप्त करने की भी अपील की करते हुए कहा- सड़कों पर बिताए गए हर मिनट से देश कीमती डॉलर की इनकम खो रहा है। विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए, सरकार ने पिछले हफ्ते सिंहली और तमिल नव वर्ष के साथ और भी कई छुट्टियों का ऐलान किया।

आने वाले वक्त में कभी भी ब्लैकआउट नहीं होगा

बिजली कटौती की समस्या से जूझ रहे लोगों से पीएम ने कहा कि मैं वादा करता हूं कि आने वाले वक्त में कभी भी ब्लैकआउट नहीं होगा। हमने पिछली सरकार को पावर प्लांट बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उसे नकार दिया गया।

 

महिदा राजपक्षे के भाषण से कुछ घंटे पहले ही विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने आरोप लगाया कि सरकार की खराब आर्थिक नीतियों की वजह से देश में आर्थिक मंदी आई।

आजादी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट

श्रीलंका 1948 में अपनी आजादी के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा से जुड़ी चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं या कई गुना महंगी मिल रही हैं। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है, जिससे वह जरूरी चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है।

 

श्रीलंका में 1900 रुपए में बिक रहा एक किलो मिल्क पाउडर

श्रीलंका में महंगाई इस कदर ऊपर पहुंच गई है कि वहां चावल 220 रुपए प्रति किलो और गेहूं 190 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है। वहीं, एक किलोग्राम चीनी की कीमत 240 रुपए, नारियल तेल 850 रुपए प्रति लीटर, जबकि एक अंडा 30 रुपए और 1 किलो मिल्क पाउडर की रिटेल कीमत 1900 रुपए तक पहुंच गई है।

 

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